ब्रुकिंग इंस्टीट्यूट ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में चल रहे हैप्पीनेस करिकुलम के प्रभाव पर छापी अपनी रिपोर्ट

Manish Sisodia 2807 01
  • दुनिया केे जाने माने शोध संस्थान ब्रुकिंग इंस्टीट्यूट ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में चल रहे हैप्पीनेस करिकुलम के प्रभाव पर छापी अपनी रिपोर्ट 
  •  शोध से पता चला है कि हैप्पीनेस करिकुलम की शुरुआत के बाद बच्चों के क्लास रूम में और क्लास रूम के बाहर दोनों तरह के व्यवहार और संबंधों में पाए गए हैं सुधार। बच्चे अपनी परिस्थितियों के अनुसार हो रहे हैं अधिक संवेदनशील।
  • सामाजिक और मनोभावात्मक स्किल 2023 पर OECD अध्ययन में शामिल होने की तैयारी में दिल्ली
  • अपनी शुरुआत के 2 साल के अंदर ही दिल्ली सरकार के स्कूलों में संचालित हैप्पीनेस करिकुलम ने वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है और इसे मिली है प्रशंसा। दिल्ली मॉडल पूरे देश को एक बार फिर से शिक्षा के क्षेत्र में कर रहा है गौरवान्वित – शिक्षा मंत्री श्री मनीष सिसोदिया
  • यह जानना बेहद जरूरी है कि आप अंदर से खुश हैं या नहीं क्योंकि जब आप प्रसन्नता के साथ किसी काम को करते हैं तो वह काम बोझ नहीं लगता। – उपमुख्यमंत्री सिसोदिया

रिपोर्ट: महेश मौर्य
नई दिल्ली :19-08-2020:दिल्ली के स्कूलों पर पड़ने वाले हैप्पीनेस करिकुलम के प्रभाव का अध्ययन करते हुए ब्रुकिंग इंस्टीट्यूट में एक विशेष रिपोर्ट छापी है। हैप्पीनेस करिकुलम की शुरुआत दिल्ली के सरकारी स्कूलों में जुलाई 2018 को इस लक्ष्य के साथ हुई थी कि दिल्ली के 1030 सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले पहली से आठवीं तक के बच्चों में हैप्पीनेस की भावना को मजबूत किया जा सके और एक 35 मिनट की क्लासरूम प्रोग्राम के जरिए रोजाना बच्चों में बेहतर भावना का संचार किया जा सके।  यह अपने आप में पहला ऐसा प्रयास था जो कि विद्यार्थियों में चरणबद्ध तरीके से सामाजिक और भावनात्मक विकास को बढ़ावा देता है। इस पाठ्यक्रम के अंतर्गत बच्चों में हैप्पीनेस से संबंधित सीख और जीवन के प्रभाव को समझने के लिए विशेष प्रकार की स्किल को बढ़ावा देने संबंधी चीजें शामिल हैं


यह जानना बेहद जरूरी है कि आप अंदर से खुश हैं या नहीं क्योंकि जब आप प्रसन्नता के साथ किसी काम को करते हैं तो वह काम बोझ नहीं लगता। – उपमुख्यमंत्री सिसोदिया


दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पिछले 2 सालों से हैप्पीनेस क्लासेस संचालित की जा रही है, ऐसे में ब्रुकिंग ने ड्रीम ए ड्रीम के साथ मिलकर एक विशेष अध्ययन किया है जो कि इन बच्चों के ऊपर हैप्पीनेस करिकुलम के जरिए पड़ने वाले प्रभाव को स्पष्ट करता है। उप मुख्यमंत्री श्री सिसोदिया ने कहा कि यह बेहद महत्वपूर्ण है कि आप अंदर से यह जानें की आप खुश हैं या नहीं।  क्योंकि यदि आपका मस्तिष्क प्रसन्नता के साथ किसी कार्य को कर रहा है तो आप उसे बिल्कुल भी बोझ नहीं समझ सकते हैं। ब्रूकिंग की टीम ने बच्चों और शिक्षकों दोनों से बातचीत की और अपने सर्वेक्षण में यह समझने का प्रयास किया कि हैप्पीनेस करिकुलम ने दोनों की जीवन शैली पर क्या प्रभाव डाला है? इस रिपोर्ट को तैयार करने में ब्रूकिंग की ओर से एस्थर केयर और अयनूर गुल शहीन और ड्रीम ए ड्रीम से विशाल तलरेजा और श्रीहरि रविन्द्रनाथ ने अपना योगदान दिया है।

“मैंने अपनी मां के भावनात्मक परिवर्तन को समझने की कोशिश की है। मैं यह समझ पाती हूं कि वह कब खुश है कब दुखी है कब गुस्से में है और कब वह दुखी दिखाई देती है। मैंने यह सीखा है कि मैं उनका सहयोग करूं, उन्हें गले लगा हूं और उनके साथ होने का उन्हें भरोसा दिलाऊँ।” – एक बच्ची ने बांटे हैप्पीनेस क्लास के अनुभव 

ब्रूकिंग के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में चल रहे हैप्पीनेस करिकुलम से बच्चों और टीचर्स के संबंधों में सुधार देखने को मिला है। जो कि क्लास रूम के बाहर भी प्रभावी है। बच्चे एक दूसरे को समझने में ज्यादा संवेदनशील हुए हैं।  स्कूल के शिक्षक और बच्चे सभी अपने प्रयासों को आंतरिक स्तर पर प्रसन्नता के साथ हैप्पीनेस करिकुलम की क्लास रूम में एक दूसरे से साझा करते हैं। हैप्पीनेस करिकुलम का पाठ्यक्रम इस मकसद के साथ तैयार किया गया है कि बच्चे अपने शिक्षकों के सामने सीखने और समझने में अधिक रूचि ले सकें। यह रिपोर्ट एक बच्चे की प्रत्युत्तर का जिक्र करते हुए कहती है कि “मैंने अपनी मां के भावनात्मक परिवर्तन को समझने की कोशिश की है। मैं यह समझ पाती हूं कि वह कब खुश है कब दुखी है कब गुस्से में है और कब वह दुखी दिखाई देती है। मैंने यह सीखा है कि मैं उनका सहयोग करूं उन्हें गले लगा हूं, और उनके साथ होने का उन्हें भरोसा दिलाऊँ।”

दिल्ली सरकार बच्चों के व्यवहार और उनकी खुशहाली में सुधार के लिए पूरी तरह से समर्पित है जिससे कि बेहतर राष्ट्र का निर्माण हो सके। – उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया


दिल्ली के सरकारी स्कूलों में चलने वाला हैप्पीनेस करिकुलम पाठ्यक्रम एक माध्यम है जो कि बच्चों की खुशहाली को बेहतर करता और उन्हें एक अच्छा इंसान बनाता है। हालाँकि ये अभी स्कूल स्तर पर शुरू किया गया है लेकिन इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न माध्यमों के जरिए अपनाया जा सकता है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री श्री मनीष सिसोदिया ने कहा की  “दिल्ली सरकार बच्चों के व्यवहार और उनकी खुशहाली में सुधार के लिए पूरी तरह से समर्पित है जिससे की हमारे देश की तरक्की हो और यह एक बेहतर राष्ट्र बन सके।’


उप मुख्यमंत्री चाहते हैं कि हैप्पीनेस करिकुलम को बेहतर करने के विषय में शोध हों। ब्रूकिंग के जरिए कराए के अध्ययन से यह पता चला है कि शिक्षा व्यवस्था में हैप्पीनेस के द्वारा एक शुरुआत हुई है जिससे कि बेहतर नतीजे प्राप्त हो रहे हैं और तेजी से बदलते हुए संसार को समझने में बच्चों की जिज्ञासा बढ़ी है। साथ ही, दिल्ली सोशल और इमोशनल स्किल – 2023 पर होने वाले OECD अध्ययन में भी शामिल होने पर भी विचार कर रही है