काम आती है हमारे उम्र भर ” मिट्टी “
काम आती है हमारे उम्र भर मिट्टी।
कह दिया बेकार चीज़ों को मगर मिट्टी।
बीज पौधा बन सके ये है बड़ा मुश्किल
है नहीं चारों तरफ़ उसके अगर मिट्टी।
जान है इसमें तभी इंसान है यह देह
बाद में आती है ये सबको नज़र मिट्टी।
जब बहुत दिन बाद वो परदेश से लौटा
रो पड़ा अपने वतन की देखकर मिट्टी।
गाँव में अब भी हमारे दृश्य हैं ऐसे
खेत मिट्टी, राह मिट्टी और घर मिट्टी।
गाँव से गमले में तुलसी ले के आई माँ
कर के आई तब बहुत लम्बा सफ़र मिट्टी।
उनसे बनवाती है कैसे – कैसे बर्तन ये
देखती है जिनके हाथों में हुनर मिट्टी।
कट नहीं पाएगा तब अपनी जड़ों से वो
याद अगर अपनी रखेगा हर बशर मिट्टी।
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