The mind: शरीर की उम्र बरसो में मापते है, पर मन का भी क्या कोई पैमाना होता है: डॉ दिलीप बच्चानी

~~गजल~~ शरीर की उम्र बरसो में मापते है परमन का भी क्या कोई पैमाना होता है। ये जिस तजुर्बे की बात करते है लोगवो दिमाग है जो काफ़ी सयाना होता … Read More

निभाता है कौन….

ग़ज़ल मेरी आवाज़ से आवाज़ मिलाता है कौनप्यार के गीत सरे-बज़्म सुनाता है कौन एक मुद्दत हुई है,मैंने भुलाया था उसेफिर मेरे ख़्वाबों में चुपके से ये आता है कौन … Read More

काश कोई तो पूछ ले “क़ादिर”(Kadir) आँखों से दरया बहता क्यों है

ग़ज़ल~ धोका क्यों है हर मंज़िल पर धोका क्यों हैमौसम बदला-बदला क्यों है महँगे-महँगे सारे खिलौनेमेरा दिल फिर सस्ता क्यों है रिश्ते सारे तोड़ चुका जोख़्वाब में चुपके आता क्यों … Read More

दिल ख़ुश हो तो गुमसुम रहना किसको अच्छा (Good) लगता है…..

ग़ज़ल: दिल ख़ुश हो तो गुमसुम रहना किसको अच्छा (Good) लगता है।बोझ ग़मों का लेकर हँसना किसको अच्छा लगता है। जो गाते रहते हैं गाथा अपने धन- दौलत की हीऐसे … Read More

एक नये सफर पर जाना है जहाँ खुद को भूल जाना है।

एक नये सफर पर जाना हैजहाँ खुद को भूल जाना है| बस उसी मे दिल लगाना हैबस उसी मे डूब जाना है | तेरी रहमत से है जहाँ रोशनतेरी बारीश … Read More

अभी मासूम है मासूमियत जिंदा रहने दो

ग़ज़ल जो सूरज की मानिंद जलना सीख जाएगावो हर अंधेरे से निकलना सीख जाएगा। न कोई हाथ पकड़ो न कोई सहारा दो उसेवो खुद गिरकर संभलना सीख जाएगा। अभी मासूम … Read More

मेरे चेहरे पर खुशी उसे मंजूर ही नही

गज़ल चाहे दबा हुआ है लाख परतों तलेपर होता हर मन मे वैराग का मोह। घर की दीवारें कारावास की तरहछोड़ता कहा है अनुराग का मोह। ऐसे कैसे सौप दू … Read More

काम आती है हमारे उम्र भर ” मिट्टी “

काम आती है हमारे उम्र भर मिट्टी।कह दिया बेकार चीज़ों को मगर मिट्टी। बीज पौधा बन सके ये है बड़ा मुश्किलहै नहीं चारों तरफ़ उसके अगर मिट्टी। जान है इसमें … Read More