अब ग्रामीण लोगों को मिलेगा उनकी जमीनों का यूनिक नंबर (Unique Number), जानिए इससे क्या होगा फायदा
केंद्र सरकार ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहनेवाले ग्रामीण लोगों की जमीनों का यूनिक नंबर (Unique Number) तैयार किया है
नई दिल्ली, 01 अप्रैलः केंद्र सरकार ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहनेवाले ग्रामीण लोगों की जमीनों का यूनिक नंबर (Unique Number) तैयार किया है। इसके तहत जमीनों की यूनिक आईडी तैयार की जा रही है। इसमें सम्पति का वर्गीकरण होगा। देश में 6,55,959 गांव है जिसमें से 5,91,421 गांवों के रेवेन्यू रिकार्ड का डिजिटाइजेशन हो चुका है। यही नहीं अब 53 प्रतिशत नक्शों को भी डिजिटल कर लिया गया है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार देश के 13,105 गाँवों की जमीनों की डिजिटाइजेशन जारी है वहीं 51,433 गाँवों में यह काम शुरू होना बाकी है। भूमि रिकॉर्ड डेटाबेस का कम्प्यूटरी करण होने के बाद किसी भी सम्पति की आईटी बनाना आसान हो जायेगा। यानी सिर्फ 64,538 गाँवों के लैंड रिकॉर्ड को डिजिटल किया जाना बाकी है।
स्वामित्व पंचायती राज्य मंत्रालय द्वारा शुरू की गई केंद्रीय योजना है। इसकी शुरुआत 24 अप्रैल 2020 को पंचायती दिवस के अवसर पर की गई थी। जबकि 11 अक्टूबर 2020 को इसके तहत प्रॉपर्टी कार्ड वितरित किये गये थे। इसका मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में घर के मालिक को प्रॉपर्टी कार्ड जारी करना है। यह स्कीम 4 साल में पूरे देश में लागू होगी और इसमें सभी गाँवों को शामिल किया जायेगा।
उत्तरप्रदेश राजस्व विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि स्वामित्व स्कीम के जरिए एक सम्पति कार्ड मिलेगा जिसमें जमीन की यूनिक आईटी होगी। यह एक तरह से आधार कार्ड जैसा होगा। इससे जमीन की खरीद-फरोख्त में होनेवाली धोखाधड़ी से बचा जा सकता है। उत्तरप्रदेश में इस पर तेजी से काम चल रहा है। सरकार का राजस्व विभाग कृषि आवासीय और व्यवसायिक जमीनों को चिन्हित कर यूनिक नंबर जारी कर रहा है।
उत्तरप्रदेश में 16 अंकों की आईडी बनाई जा रही है। इसमें पहले 1 से लेकर 6 अंक तक गांव की जनगणना के आधार होगा। इसी तरह 7 से 10 तक भूखंड की गाटा संख्या होगी। जबकि 11 से 14 अंक जमीन के विभाजन का नंबर होगा। कृषि आवासीय और व्यावासायिक श्रेणी के लिए 15 से 16 नंबर होगा। आईडी बनने के बाद लोन लेना आसान होगा।
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