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उपमुख्यमंत्री ने शारीरिक साक्षरता प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया

  • पुलेला गोपीचंद की संस्था की मदद से शिक्षक हमारे बच्चों का शारीरिक विकास करेंगे: सिसोदिया
  • शारीरिक और मानसिक विकास परस्पर जुड़े हैं। कोरोना काल में शारीरिक शिक्षा की बड़ी भूमिका : उपमुख्यमंत्री
  • दिल्ली के सरकारी स्कूलों के फिजिकल एजुकेशन टीचर्स का प्रशिक्षण प्रारंभ

नई दिल्ली, 31 अगस्त 2020
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आज पांच दिवसीय के शारीरिक साक्षरता प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस मौके पर देश के चर्चित बेडमिंटन खिलाड़ी एवं कोच पुलेला गोपीचंद भी मौजूद थे। इसमें दिल्ली के सरकारी स्कूलों के 1300 फिजिकल एजुकेशन टीचर्स शामिल हुए। 
ईएलएमएस स्पोर्ट्स फाउंडेशन के सहयोग से यह तीन सप्ताह का ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। इस मौके पर श्री सिसोदिया ने फिजिकल एजुकेशन टीचर्स को संबोधित करते हुए कहा कि आप सबने दिल्ली की शिक्षा क्रांति और छात्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अब कोराना काल में हमारे छात्र अपने कमरों में सिमट गए हैं, इसलिए आपकी भूमिका ज्यादा बढ़ गई है। छात्रों की गतिविधियां कम होना उनकी शारीरिक वृद्धि में बाधा है। 

श्री सिसोदिया ने कहा कि शारीरिक शिक्षा की हमें पूरे जीवन में 24 घंटे सातों दिन जरूरत होगी। शारीरिक और मानसिक विकास का एक दूसरे से सीधा संबंध है। आज जब हमारे बच्चे घर में कैद हैं, तो शारीरिक शिक्षा बेहद जरूरी है। इससे बच्चों को अपने शरीर के प्रति सचेत होने तथा अपनी भलाई के लिए शारीरिक गतिविधियों में मदद मिलेगी।

पुलेला गोपीचंद ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए अपने अनुभव शेयर किए। उन्होंने कहा कि मेरे कोच हामिद हुसैन सर ने मुझे खेल से प्यार करना सिखाया। आप अपने दैनिक जीवन में भौतिकी और रसायन विज्ञान को पता नहीं कितना लागू करते हैं, यह मुझे नहीं मालूम, लेकिन शारीरिक शिक्षा से आपके जीवन की मजबूत नींव रखी जा सकती है।
खेलकूद के महत्व पर जोर देते हुए श्री गोपीचंद ने कहा कि इससे बच्चे नियमों का पालन करना सीखते हैं। जब आप दूसरों को अपना नेता मानकर उनका अनुसरण करते हैं, तो यह आपको कई जीवन कौशल सिखाने में मदद करता है। श्री सिसोदिया ने फिजिकल एजुकेशन टीचर्स से बड़ी भूमिका में आगे आने की अपील की। उन्होंने कहा कि हम खेल भावना बढ़ाने का प्रयास करें। सभी शिक्षक अपने समय, संसाधनों और अवसर का बेहतर उपयोग करें। यदि प्रत्येक शिक्षक इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुछ नया सीखने की कोशिश करें, तो दिल्ली की शिक्षा-क्रांति में बड़ा योगदान कर पाएंगे