बाल श्रम में लिप्त किए जा रहे बच्चों की ज़बानी
काव्य मेरे भी कई ख़्वाब थे,हम भी किसी घर के आफ़ताब थे,बिना घी के सही हमारी माँ के हाथ के व्यंजन लाजवाब थे,साइकल के टायर और लकड़ी पर हमारे भी … Read More
काव्य मेरे भी कई ख़्वाब थे,हम भी किसी घर के आफ़ताब थे,बिना घी के सही हमारी माँ के हाथ के व्यंजन लाजवाब थे,साइकल के टायर और लकड़ी पर हमारे भी … Read More
काव्यांजलि.. है नमन तुझको ऐ भारत माता, है नमन तुझको ऐ भारत माता, हे भारत भाग्य विधाता,यहाँ माँ को मुकम्मल नही होता एक सपूतपर तेरी कोख़ को मुसलसल कोई मतवाला … Read More