अंगूर से क्या है फायदे जानिए डॉ. दीपक आचार्य से
आयुर्वेद से आरोग्य – 01
- वानस्पतिक नाम- Vitis vinifera (विटिस विनीफेरा)
- कुल- वायटेसी (Vitaceae)
- हिन्दी- अंगूर, दक्ष, द्राक्ष
- अंग्रेजी- वाइन ग्रेप, कामन ग्रेप वाइन, यूरोपियन ग्रेप ( Wine Grape, Common
- Grape Wine, Europian Grape)
- संस्कृत- अमृतफला, द्राक्ष, चारूफला
फलों में अंगूर को सेहत के लिए उत्तम माना जाता है, क्योंकि यह एक उत्तम पौष्टिक फल है जो रोगियों के लिए बलवर्धक माना जाता है। अंगूर का वानस्पतिक नाम विटिस विनीफेरा है। लगभग एक पाव अंगूर का रस पीने से शरीर में खून प्रतिदिन सुबह की कमी दूर हो जाती है। डाँग-गुजरात के आदिवासी मानते हैं कि और शाम 4-4 चम्मच अंगूर के रस भोजन के बाद सेवन किया जाए तो बुद्धि और स्मरण शक्ति का विकास होता है। लगभग 50 ग्राम अंगूर का रस गर्म करके श्वास या दमा के रोगी को पिलाया जाए तो साँस लेने की गति सामान्य हो जाती है।
पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार यदि रोज सुबह 200 ग्राम अंगूर का रस या ताजे अंगूर खा लिए जाए तो पथरी ग्रसित रोगी को देते हैं। कहा जाता है कि अंगूर में दर्द निकाल फेंकने की ताकत होती है। कई आदिवासी अंचलों में बच्चों को दाँत निकलते समय अंगूर के रस में शहद डालकर दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे दाँत जल्द निकल आते हैं और दर्द भी कम होता है। अंडकोषों (टेस्टीकल्स) की सूजन दूर करने के लिए आदिवासी अंगूर के कुछ पत्तों पर घी चुपड़कर आग दिखाते हैं और धीरे-धीरे इन हल्के गर्म पत्तों से अंडकोषों का सेक करते हैं जिससे सूजन उतर जाती है। (साभार: आदिवासियों की औषधीय विरासत पुस्तक से)