बच्चों को बड़े सपने देखना सिखाए शिक्षा:मनीष सिसोदिया

Manish Sisodia meeting
  • पाठ्यक्रम सुधार और दिल्ली शिक्षा बोर्ड की समितियों की द्वितीय समीक्षा में बोले श्री मनीष सिसोदिया- “बच्चों को बड़े सपने देखना सिखाए शिक्षा”
  • अभी मूल्यांकन में छात्रों के मानवीय और भावनात्मक पक्ष एवं कौशल की उपेक्षा होती है, इसे बदलना जरूरी: उपमुख्यमंत्री
  • नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा के बाद दोनों समितियों की पहली संयुक्त बैठक उपमुख्यमंत्री ने 21वीं सदी की जरूरत के लिहाज से भावनात्मक, कौशल एवं सीखने के अगले स्टेज की तैयारी पर आधारित ढांचे का सुझाव दिया

रिपोर्ट: महेश मौर्य
नई दिल्ली : 22 अगस्त 2020 दिल्ली शिक्षा बोर्ड के गठन और पाठ्यक्रम सुधार की समितियों की आज द्वितीय बैठक हुई। इसमें दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, सचिव (शिक्षा), निदेशक (शिक्षा), निदेशक एससीईआरटी और शिक्षा सलाहकार के साथ ही दोनों समितियों के सदस्य शामिल हुए। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा के बाद दोनों समितियों की यह पहली बैठक हुई। इसमें दिल्ली शिक्षा बोर्ड के गठन और पाठ्यक्रम सुधार संबंधी अब तक के कार्यों की प्रगति की समीक्षा की गई। 

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उल्लेखनीय है कि वार्षिक बजट 2020-21 में दिल्ली सरकार ने पाठ्यक्रम सुधार संबंधी योजना की घोषणा की थी। साथ ही, दिल्ली के लिए एक नया शिक्षा बोर्ड बनाने की घोषणा की गई थी। इसके लिए गठित दोनों समितियों में देश के विभिन्न हिस्सों से सरकारी एजेंसियों और शैक्षणिक संगठनों के प्रख्यात शिक्षा विशेषज्ञ शामिल हैं। समिति के सदस्यों ने अपने कार्य की प्रगति रिपोर्ट साझा की।  बैठक में श्री सिसोदिया ने कहा कि हमें समयसीमा के भीतर दोनों काम पूरे करने हैं ताकि अगले शैक्षणिक वर्ष तक 14 साल तक के बच्चों के लिए नया पाठ्यक्रम शुरू कर सकें। अब तक की प्रगति की समीक्षा करते हुए श्री सिसोदिया ने कहा कि हमें अगले लर्निंग स्टेज के लिए मानवीय और भावनात्मक पहलू के साथ साथ कौशल विकास के आधार पर पाठ्यक्रम बनाना चाहिए। अगर हम केवल शैक्षिक ज्ञान पर ध्यान देंगे और भावनात्मक एवं कौशल विकास पर ध्यान नहीं देंगे, तो शिक्षा का उद्देश्य अधूरा रह जाएगा।

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श्री सिसोदिया ने कहा कि जीवन में हर चीज के प्रति स्वस्थ दृष्टिकोण जरूरी है। हमारी शिक्षा प्रणाली ऐसी हो, जो स्टूडेंट्स को बड़े सपने देखने, और ईमानदारी के साथ खुशहाल होना सिखाए। बच्चों में आलोचनात्मक सोच का निर्माण भी होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि छात्रों में सीखने का कौशल पैदा करना बेहद जरूरी है। उनमें सुनने, सवाल पूछने, काम करने, अपने विचार व्यक्त करने जैसे कौशल का विकास करना आवश्यक है। इससे बच्चों को खुशहाली के साथ जिम्मेदारीपूर्वक अपना जीवन जीने योग्य बनाने में मदद मिलती है। श्री सिसोदिया ने कहा, एनसीएफ, 2005 में कहा गया है कि गणित से छात्रों को तार्किक रूप से सोचने में मदद मिलनी चाहिए। लेकिन सच्चाई यह है कि गणित की कक्षाओं से स्टूडेंट्स मुख्यतः फार्मूले सीखने और समीकरण सुलझाने तक सीमित रह जाते हैं। अभी सीखने की प्रक्रिया और सीखने के परिणामों के बीच तालमेल नहीं दिखता है। हमें तय करना होगा कि 6, 8, 11 और 14 साल के बच्चे भावनात्मक, कौशल एवं ज्ञान के दृष्टिकोण से कहाँ होने चाहिए। हर स्तर पर, सीखने के परिणामों का एक न्यूनतम सेट होना चाहिए, ताकि हम हर स्टेज का निश्चित शैक्षिक लक्ष्य निर्धारित कर सकें।

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बोर्ड समिति ने अपना ध्यान बच्चों के समग्र विकास और सतत मूल्यांकन पर केंद्रित किया है। बोर्ड समिति के कार्यों की समीक्षा करते हुए श्री सिसोदिया ने कहा कि समिति को स्कूल में आंतरिक रूप से निरंतर मूल्यांकन की प्रक्रिया का तरीका सुझाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर स्टेज के अंत मे और अगले स्टेज से पहले थर्ड पार्टी मूल्यांकन करने की व्यवस्था होनी चाहिए। श्री सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में डिजिटल माध्यम के उपयोग की संभावना मौजूद है। इसलिए हमें प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए छात्रों के निरंतर सीखने के मूल्यांकन में इसका उपयोग करना चाहिए। हमने अपने शिक्षकों को टैबलेट प्रदान किए हैं। हम दिल्ली के सरकारी स्कूलों को डिजिटल रूप से और अधिक सक्षम करेंगे। इससे निरंतर मूल्यांकन का काम आसानी से होगा। श्री सिसोदिया ने कहा कि दोनों समितियों के सुझाव आने के बाद एससीईआरटी दिल्ली को शिक्षकों के व्यापक प्रशिक्षण और शिक्षण सामग्री तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।