हम इकट्ठा कर लें चाहे जितने दौलत के पहाड़….

काव्य हम इकट्ठा कर लें चाहे जितने दौलत के पहाड़।सामने रहते हैं फिर भी कुछ ज़रूरत के पहाड़। पार कर लो एक को तो दूसरा तैयार हैक्या पता आएँगे कितने … Read More