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हम हिंदुस्तानियों के लिए कला (Art) जीने का अंदाज और कलाकार (Artist) जीने का सहारा हैं: मनीष सिसोदिया

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  • हस्तशिल्प कला (Art) का एक अलग ही अंदाज है, इसकी जैसी खूबसूरती न तो मशीनों से और न तो थ्री डी से आ सकती है – मनीष सिसोदिया
  • हम मशीनों के साथ नहीं, बल्कि कला और कलाकारों के साथ ही जिंदा रह सकते हैं- मनीष सिसोदिया
  • दिल्ली सरकार हस्तशिल्प कला को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदर्शनी लगाने समेत कई कदम उठाएगी- सत्येंद्र जैन

रिपोर्ट: महेश मौर्य, दिल्ली

नई दिल्ली, 19 मार्च: उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और उद्योग मंत्री सत्येंद्र जैन ने आज दिल्ली सचिवालय में हस्तशिल्प कला (Art) के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 16 लोगों को स्टेट हैंडीक्राॅफ्ट अवाॅर्ड देकर सम्मानित किया। मनीष सिसोदिया ने कहा कि हम हिंदुस्तानियों के लिए कला जीने का अंदाज है और कलाकार जीने का सहारा हैं। हस्तशिल्प कला का  एक अलग ही अंदाज है, इसकी जैसी खूबसूरती न तो मशीनों से और न तो थ्री डी से आ सकती है। हम मशीनों के साथ नहीं जिंदा रह सकते, बल्कि कला और कलाकारों के साथ ही जिंदा रह सकते हैं। वहीं, उद्योग मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली सरकार हस्तशिल्प कला को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदर्शनी का आयोजन करने समेत कई कदम उठाएगी।

दिल्ली सचिवालय के मुख्य सभागार में आज स्टेट हैंडीक्राॅफ्ट अवाॅर्ड समारोह का आयोजन किया गया। इस अवाॅर्ड समारोह के मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया रहे। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और उद्योग मंत्री सत्येंद्र जैन ने हैंडीक्राॅफ्ट के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 16 कलाकारों (Artist) को अवाॅर्ड देकर सम्मानित किया। यह अवाॅर्ड वर्ष 2016 और 2017 में चयनित लोगों को दिया गया। कोविड की वजह से अभी तक चयनित लोगों को अवाॅर्ड नहीं दिया जा सका था। इस दौरान स्टेट हैंडीक्राॅफ्ट अवाॅर्ड और स्टेट हैंडीक्राॅफ्ट मेरिट अवाॅर्ड देकर लोगों को सम्मानित किया गया।

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उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सभी कलाकारों को हैंडीक्राॅफ्ट क्षेत्र में उत्कृष्ट करने वाले सभी कलाकारों को बधाई देते हुए कहा कि इस बात की मुझे बहुत खुशी है कि दिल्ली सरकार का उद्योग विभाग हमारे दिल्ली के कलाकारों को सम्मानित करने के लिए और उनके काम को पहचान दिलाने के लिए बहुत मेहनत कर रहा है। आप सब लोग उस कला (Art) को जिंदा रखने के लिए, उस कला को आगे बढ़ाने के लिए मेहनत कर रहे हैं। आजकल प्रतियोगिता का युग है और कई देशों से ऐसे प्रोडक्ट बनकर आने लगे हैं, जिनकी वजह से हमारे कलाओं और गुणवत्ता वाली प्रोडक्ट की कीमत में अंतर आ गया है। एक तरफ, जब बात गुणवत्ता की होगी और जब प्रोडक्ट हाथ से मेहनत करके बनाई गई होगी और दूसरी तरफ जब एक देश सिर्फ ठप्पेमारी कर प्रोडक्ट भेज रहा है, तो दोनों की कीमतों में अंतर होगा ही। आजकल एक और चीज आ गई है, वह है थ्री डी प्रिंटिंग। थ्री डी प्रिंटिंग के चक्कर में लोगों को फैक्ट्री से वैसी ही चीज मिल जा रही है, लेकिन हाथ के काम का, हस्तशिल्प का एक अलग ही अंदाज है। उसकी एक अलग ही खूबसूरती है। ऐसी खूबसूरती न तो मशीन से आ सकती है और न तो थ्री डी से आ सकती है और न तो उस देश में आ सकती है, वह तो सिर्फ हमारे कलाकार ही बना सकते हैं।

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मनीष सिसोदिया ने कहा कि सरकार की मंशा है कि इस कलाकारी का सम्मान किया जाए और इसको आगे बढ़ाया जाए। यह इसलिए नहीं कि इसमें कुछ लोग जुड़े हुए हैं, बल्कि इसलिए कि यह भारत के जीने का अंदाज है। यह हम हिंदुस्तानियों के जीने का अंदाज रहा है। कुछ लोगों के लिए कला (Art) व्यवसाय होगी, लेकिन हमारे हिंदुस्तानियों के लिए हजारों सालों से जीने का अंदाज रही है। हमारी माताएं-बहनें, हमारे किसान, हमारे मजदूर, हमारे काम करने वाले और हमारे गांव के कारीगर इस काम को अपने जीने के साथ-साथ करते थे। वे खेती करते रहते थे और उसके साथ यह भी करते थे। वे इसलिए करते थे, क्योंकि उन्हें यह करने में मजा आता है। वो इसे बनाने में मजा लेते थे और साथ-साथ उसका कुछ व्यवसायिक पहलू भी होता था। इससे रोजगार भी निकल आते थे। लोग जब शहरों में जाते थे, उनको आमदनी भी होती थी। लेकिन सबसे बड़ी चीज थी कि वह जीने के अंदाज में थी। हिन्दुस्तानियों के लिए कला जीने का अंदाज रही है। इसलिए कलाकार हमारे लिए जीने का सबसे बड़ा सहारा है।

उन्होंने कहा कि मशीनों के सहारे हम जिंदा नहीं रह सकते हैं। हम इस कला और कलाकारों के साथ ही जिंदा रह सकते हैं। यहां आए बहुत से कलाकार काफी शिक्षित हैं, कुछ अपने संघर्ष से निकल कर आए हैं। मुझे खुशी है कि जिस तरह से प्रतिभागियों का चयन हुआ, उसके लिए मैं उद्योग विभाग को बधाई देता हूं। विभाग ने हर तरह के कलाकारों को सम्मान दिया है। जैसा कि उद्योग मंत्री सत्येंद्र जैन ने विचार रखा है कि हम इस सेक्टर को आगे लेकर जाएंगे और हम आप जैसे कलाकारों की एग्जीविशन भी लगाएंगे। हमने दिल्ली हाॅट जैसी संस्थाएं बनाई हैं, वहां भी मौका मिलता है। आपके पास भी कुछ विचार होंगे, तो आप बताइएगा कि कैसे हम लोग इस कला को, इस क्षेत्र को और आगे बढ़ा सकते हैं।

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सभी सरकारों को हस्तशिल्प कला को बढ़ावा देने पर बल देना चाहिए – सत्येंद्र जैन

उद्योग मंत्री सत्येंद्र जैन द्वारा आज शिल्पकारों की बेहतरीन कला की सराहना की और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। सत्येन्द्र जैन ने कहा कि दिल्ली सरकार इस तरह के कलाओं और कलाकारों को हमेशा से ही प्रोत्साहित करती आई है और भविष्य में भी प्रोत्साहित करती रहेगी। दिल्ली सरकार पिछले 5 सालों में सम्मानित शिल्पकारों को एक साथ लाकर जनता के बीच शिल्प कला को लेकर जागरूक करने का काम करेगी। औद्योगिकीकरण के युग में हमें मात्रा नहीं, बल्कि बेहतर गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए।

श्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि आप लोगों ने जो शिल्प बनाएं हैं, वह बहुत अच्छे हैं। हर राज्य की एक खासियत होती है, लेकिन दिल्ली के अन्दर सारी खासियतें हैं। दिल्ली में बिहार, राजस्थान और बंगाल भी है। दिल्ली के अंदर एक मिनी भारत बसता है। भारत का स्वरूप देखना हो, तो दिल्ली आकर देखा जा सकता है। दिल्ली के अंदर सभी तरह के कलाकार मौजूद हैं। मुझे लगता है कि सभी सरकारों को हस्तशिल्प कला को प्रोत्साहित करना चाहिए। दिल्ली सरकार भी इसे प्रोत्साहित करेगी। उन्होने कहा कि हमें कलाकृति या रोजमर्रा के सामन में उसके वजन पर नहीं, बल्कि उसकी गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए। हम कलाकृतियों की पैसे से आंकलन नहीं कर सकते। दिल्ली सरकार इस कला को हर तरह से प्रोत्साहित करती है। उन्होंने कहा कि यह सम्मान समारोह कोविड की वजह से देर से आयोजित हुआ, लेकिन आगामी सम्मान समारोह जल्द आयोजित कर सभी शिल्पकारों को सम्मानित करेंगे। हम पिछले 5 सालों में सम्मानित शिल्पकारों को एक साथ लाएंगे, ताकि जनता के बीच शिल्प कला को लेकर जागरूकता बढ़ सके।

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स्टेट हैंडीक्राॅफ्ट-2016 के लिए सम्मानित लोगों का संक्षिप्त परिचय

1- अजीत कुमार

अजीत कुमार का जन्म पंजाब के गुरदासपुर में हुआ। उन्होंने लकड़ी पर जड़ाऊ कला प्रतिष्ठित मास्टर शिल्पकार स्व. बाबू राम वर्मा से सीखी। अजीत पिछले 43 वर्षों से इस कला में कार्यरत हैं और एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल द्वारा आयोजित हस्तशिल्प प्रदर्शनी में भाग ले चुके हैं। अजीत कुमार को लकड़ी पर नक्काशी कला में रोज कार्विंग पेपर वेट कलाकृति के लिए वर्ष 2016 के लिए राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

2-रूबी शर्मा

रूबी शर्मा का जन्म बिहार में हुआ। उन्होंने मधुबनी चित्रकारी नेशनल अवार्डी मनीषा झा मिश्रा से सीखी। वे पिछले 12 वर्षो से इस कला में कार्यरत हैं। अपनी कला का प्रदर्शन ललित कला अकादमी द्वारा आयोजित मिथिला कला, आर्टस आफ अर्थ में कर चुकी हैं। उन्हें मधुबनी पेंटिंग कला मेंट्री आफ लाइफ कलाकृति के लिए सम्मानित किया गया।

3- रामवती

रामवती का जन्म राजस्थान के अलवर में हुआ। उनका वशांनुगत व्यवसाय होने के कारण उन्होनें टेराकोटा कला नेशनल अवार्डी अपने पति अमर सिंह से सीखी। उन्होंने विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) भारत सरकार द्वारा आयोजित गुरू शिष्य परंपरा के तहत विभिन्न प्रदर्शनियों में भाग ले लेकर प्रशिक्षण भी दे चुकी हैं। रामवती को उनकी टेराकोटा कला में समोसा पॉट कलाकृति के लिए सम्मानित किया गया।

4- अचर्ना गुप्ता

अचर्ना गुप्ता का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ। उन्होंने, चन्द्रकांता और सुधीर फडनेसए नेशनल अवार्डी से बाटिक पेंटिंग की कला सीखी। उन्होंने 1998 से अपने पति के साथ दिल्ली में रह रही हैं और पिछले 23 वर्षों से व्यवसाय के रूप में बाटिक पेंटिंग की कला को अपनाया है। वे देश के विभिन्न हिस्सों में विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) भारत सरकार द्वारा आयोजित प्रदर्शनियों में भाग ले चुकी हैं। अर्चना गुप्ता को उनकी बाटिक पेंटिंग कला में कृष्ण रासलीला कलाकृति के लिए सम्मानित किया गया।

5- कुमारी ज्योत्सना चौधरी

कुमारी ज्योत्सना चौधरी का जन्म दिल्ली में हुआ। कला में रूचि होने के कारण उन्होंने पेपर मेशी की कला शंभू सिमखाडा से सीखी। उन्होंने डी.टी.टी.डी.सी के माध्यम से दिल्ली हाॅट और स्थानीय आॅर्ट गैलरी में भाग ले चुकी हैं। उन्हें पेपर मेशी कला में पेंटिंग कलाकृति के लिए सम्मानित किया गया।

6- रूबी देवी

रूबी देवी का जन्म बिहार के मधुबनी में हुआ। उन्होने सिक्की क्राॅफ्ट कला मीरा ठाकुर से सीखी। वह 2003 से दिल्ली में रह रहीं हैं और पिछले 20 सालों से सिक्की क्राॅफ्ट की कला में कार्यरत हैं। उन्होंने विकास आयुक्त हस्तशिल्प भारत सरकार द्वारा आयोजित विभिन्न शिल्प बाजारों और प्रर्दशनियों में भाग ले चुकी हैं। रूबी देवी को उनके सिक्की क्राफ्ट कला में गणेश कलाकृति के लिए सम्मानित किया गया।

7- राकेश वर्मा

राकेश वर्मा का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ। उन्होनें टेराकोटा कला प्रख्यात शिल्पकार लक्ष्मण प्रजापति से सीखी। वह पिछले 25 वर्षों से इस कला के व्यवसाय में कार्यरत हैं। वे लक्ष्मण शिल्प कला प्रदर्शनी और राष्ट्रीय बाल भवन में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं। राकेश वर्मा को उनकी टेराकोटा कला में कार्विंग ऑन पॉट कलाकृति के लिए सम्मानित किया गया।

8- मीरा झा

मीरा झा का जन्म बिहार के मधुबनी में हुआ। उन्होंने कपूरी देवी से हाथ की कढ़ाई का काम सीखा। वह 1987 में दिल्ली में रह रही हैं और पिछले 35 वर्षों से हाथ की कढ़ाई शिल्प व्यवसाय के क्षेत्र में कार्यरत हैं। उन्होंने ए.पी.जे. इंटरनेशनल में सुजनी कला का प्रदर्शन किया और प्रशिक्षण दिया। विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) भारत सरकार द्वारा आयोजित विभिन्न प्रदर्शनियों और शिल्प बाजारों में भाग ले चुकी हैं। मीरा झा को उनकी हाथ की कढ़ाई कला में गांव का दृश्य कलाकृति के लिए सम्मानित किया गया।

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स्टेट हैंडीक्राॅफ्ट-2017 के लिए सम्मानित लोगों का संक्षिप्त परिचय

1– कुमारी सीमा

कुमारी सीमा का जन्म दिल्ली में हुआ। उन्होनें टेराकोटा कला नेशनल अवार्डी अपने पिता हरी किशन से सीखी और ललित कला विद्यालय से मूर्तिकला मे स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वह पिछले 10 वर्षो से इस कला (Art) के व्यवसाय में कार्यरत हैं। वह जवाहर नवोदय विद्यालय में कला महोत्सव में भाग ले चुकी हैं। कुमारी सीमा को उनकी टेराकोटा कला में बिग पॉट कलाकृति के लिए सम्मानित किया गया।

2- मुहम्मद अमीन फारूकी

मुहम्मद अमीन फारूकी का जन्म दिल्ली में हुआ। उनका वंशानुगत व्यवसाय होने के कारण लकड़ी में कैलिग्राफी कला शिल्प गुरू से सम्मानित अपने पिता इरशाद हुसैन फारूकी से सीखी और पिछले 8 वर्षों से इस कला (Art) में कार्यरत हैं। वे अल्पसंख्यक वित्त विकास विभाग, भारत सरकार द्वारा आयोजित हुनर कला में भाग ले चुके हैं। मुहम्मद अमीन फारूकी को लकड़ी में कैलिग्राफी कला में सुरह अल-इखलास कलाकृति के लिए सम्मानित किया गया।

3- महेश कुमार वैष्णव

महेश कुमार वैष्णव का जन्म मध्य प्रदेश में हुआ। उन्होंने भवंर लाल से लघु चित्रकारी की कला सीखी। वह पिछले 35 वर्षों से इस कला के व्यवसाय में कार्यरत हैं और देश के विभिन्न हिस्सों में स्वतंत्र रूप् से निजी आर सरकारी सस्था द्वारा आयोजित प्रदर्शनियों में भाग ले चुके हैं। महेश कुमार वैष्णव को लघु चित्रकारी कला में किंग प्रोसेसन कलाकृति के लिए सम्मानित किया गया।

4- मोहम्मद फराज

मोहम्मद फराज का जन्म दिल्ली में हुआ। उन्होंने नकली आभूषण की कला अपने पिता मोहम्मद आलम से सीखी। वह पिछले 16 वर्षों से इस कला के व्यवसाय में कार्यरत हैं और देश के विभिन्न हिस्सों में स्वतंत्र रूप् से निजी सस्था द्वारा आयोजित प्रदर्शनियों में भाग ले चुके हैं। मोहम्मद फराज को नकली आभषूण कला में नेकलेस कलाकृति के लिए सम्मानित किया गया।

5- पल्लवी दास

पल्लवी दास का जन्म बिहार में हुआ। उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित कुसुम दास से मधुबनी चित्रकारी की कला (Art) सीखी। वह पिछले 12 वर्षों से इस कला में कार्यरत हैं। पल्लवी दास राष्ट्रीय संग्रहालय द्वारा आयोजित प्रदर्शनियों में भाग ले चुकी हैं। उन्हें उनकी मधुबनी चित्रकारी गौरी पूजा कलाकृति के लिए सम्मानित किया गया।

6- सरिता देवी

सरिता देवी का जन्म बिहार में हुआ। उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित बउआ देवी से मधुबनी चित्रकारी की कला सीखी। शादी के बाद वह अपने पति के साथ दिल्ली में बस गई और मधुबनी चित्रकारी का काम शुरू कर दिया। वह पिछले 25 सालों से मधुबनी चित्रकला में कार्यरत हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग और विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) भारत सरकार द्वारा आयोजित प्रदर्शनियों में भाग लिया। सरिता देवी को उनकी मधुबनी चित्रकारी फिश और ट्री कलाकृति के लिए सम्मानित किया गया।

7- प्रतिभा कुमारी

प्रतिभा कुमारी का जन्म दिल्ली में हुआ। उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित अपने पिता देवेंद्र कुमार झा से मधुबनी चित्रकारी की कला सीखी। वह पिछले 6 वर्षों से इस कला में कार्यरत हैं और विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) भारत सरकार द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस प्रदर्शनी में भाग ले चुकी हैं। प्रतिभा कुमारी को उनकी मधुबनी चित्रकारी राम दरबार कलाकृति के लिए सम्मानित किया गया।

8- बाबूद्दीन

बाबूद्दीन का जन्म दिल्ली में हुआ। उन्होंने अपना वंशानुगत व्यवसाय होने के कारण लकड़ी पर जड़ाऊ कला अपने पिता फकरूदीन से सीखी। वह पिछले 15 वर्षों से इस कला में कार्यरत हैं। बाबूद्दीन को लकड़ी पर नक्काशी में हनुमान जी कलाकृति के लिए सम्मानित किया गया।

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