Childhood and old age: मेरी जुबानी मेरे अनुभव जहां हमने देखा “बचपने और बुढ़ापे का दौर “
“बचपना और बुढ़ापा” (Childhood and old age)
बचपना और बुढ़ापा एक सा
बस फर्क है इक उम्र का,
इच्छाए दोंनो का एक सा
लालसा दोनों का एक सा,
जतन दोंनो का एक सा
नादान बचपन चाहती है ,
छाया बड़ो का अपने से
और बुढ़ापा चाहता है ,
लाठी सहारे की बच्चों से
देखती है ख्वाब अनकहे ,
ये नटखट सा बचपना
आशाएं रखती है अनेक ,
ये इक उम्र बुढ़ापे का
तर्जुबा तो है इनके पास ,
सालों का जिन्दगानी का
पर हो जाता बुढापा बचपना सा ,
क्योंकि उम्र के दौर में थक जाते है
मानों बचपना का पराव ,
बुला रहा हो जैसे ……
चाहती हैं बचपन बेफिक्र ,
करते है दोनों जिद्द एक सा
जब लगती है भूख इन्हें ,
जब हो जाता गरम देह
और सर्दी जुखाम हलका सा ,
तो घर हो जाता सूना सा और
लग जाते है सब इनके देखभाल में ,
बचपन और बुढापा एक सा |
~~ ममता कुशवाहा~~~~
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