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Corona vaccine dose: कोरोना वैक्सीन की एक डोज ही काफी, बीएचयू और साइंस जर्नल के तर्क पर विशेषज्ञों का क्या हैं कहना

Corona vaccine dose: बीएचयू का तर्क, वैज्ञानिक का कहना है कि कोरोना से ठीक हुए लोगों में एंटीबॉडी प्राकृतिक रूप से बनती है और अगर कोरोना से रिकवर हुए लोगों को वैक्सीन का एक डोज भी मिल जाए तो इम्यूनिटी लंबे समय तक बनी रहती है।

नई दिल्‍ली, 01 जून: Corona vaccine dose: भारत सरकार इस पर भी रिसर्च करने वाली है कि क्या वैक्सीन की एक डोज ही काफी है। ऐसे रिसर्च भी सामने आ रहे हैं, जिनमें ये दावा किया जा रहा है कि अगर कोरोना हो चुका है, तो पर्याप्त एंटीबॉडीज बनाने के लिए वैक्सीन की एक डोज ही काफी है। हालांकि, इस सोच पर विशेषज्ञों ने सवाल उठाए हैं।

भारत में 4 करोड़ 30 लाख से ज्यादा लोगों ने दोनों डोज ली हैं। इनमें एंटीबॉडी भी बनी है, लेकिन बहुत से ऐसे केस भी होते हैं, जिनमें एंटीबॉडी पर्याप्त मात्रा में नहीं बनती। इस बीच, साइंस जर्नल नेचर में पब्लिश हुई एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि कोरोना से ठीक हुए लोगों में वैक्सीन की एक डोज काफी है यानी उन्हें बूस्टर या दूसरी डोज लगाने की जरूरत ही नहीं है।

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बीएचयू का तर्क, वैज्ञानिक का कहना है कि कोरोना से ठीक हुए लोगों में (Corona vaccine dose) एंटीबॉडी प्राकृतिक रूप से बनती है और अगर कोरोना से रिकवर हुए लोगों को वैक्सीन का एक डोज भी मिल जाए तो इम्यूनिटी लंबे समय तक बनी रहती है। इसके साथ ही बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के वैज्ञानिकों ने भी अपनी स्टडी में पाया है कि कोरोना से ठीक हुए लोगों के लिए वैक्सीन की एक डोज ही पर्याप्त है। बीएचयू के वैज्ञानिकों ने 20 लोगों पर अध्ययन किया है और इस रिसर्च को पब्लिश करने के लिए भेजा है। संस्थान के वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से साझा किया है और ये सुझाव दिया है कि कोरोना से ठीक हो चुके लोगों को वैक्सीन की एक डोज ही दी जाए। इससे वैक्सीन का संकट दूर होगा।

इस पर विशेषज्ञों ने उठाए सवाल, वैक्सीन की सिंगल (Corona vaccine dose) पर अब सवाल उठता है कि ऐसे दावों का पूरा सच क्या है? क्या कोरोना से ठीक हुए मरीजों को वैक्सीन की दूसरी डोज की जरूरत ही नहीं है। हमें ये समझना चाहिए कि डोज का निर्धारण किस आधार पर होता है और ये कैसे पता लगेगा कि वैक्सीन का एक डोज ही पर्याप्त है।

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वैज्ञानिक प्रोफेसर गिरिधर बाबू ने कहा कि यह बिल्कुल भी अच्छा विचार नहीं है, यह सुझाव देने के लिए कोई डेटा नहीं है कि जनसंख्या स्तर पर मृत्यु दर या गंभीर बीमारी के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक खुराक ही काफी है, उपलब्ध साक्ष्य बताते हैं कि टीकों की दो खुराक मौतों को रोकने में प्रभावी है। बाबू ने कहा कि कमजोर आबादी के लिए दोनों खुराक की आवश्यकता है, दी गई समय सीमा में यदि हम दो डोज लेने में असमर्थ हैं तो शायद हम एक खुराक को कवर कर सकते हैं, लेकिन (Corona vaccine dose) दूसरी खुराक को कुछ समय बाद कम से कम 12 सप्ताह की अवधि में दिया जाना चाहिए।