पश्चिम रेलवे का लोअर परेल कारखाना मानसूनी सावधानियों के तौर पर विसंक्रमण के लिए ड्रोन तकनीक शुरु करने में भारतीय रेल पर बना अग्रणी

मानसून सम्बंधी संक्रमण और वेक्टर जनित रोगों के विरुद्ध विसंक्रमण के लिए ड्रोन तकनीक सफलतापूर्वक शामिल करने से पूरी भारतीय रेलवे पर इस तरह की प्रथम पहल

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लोअर परेल कारखाने में विसंक्रमण के लिए ड्रोन को सेट अप करते हुए कर्मचारी तथा

आधुनिक तकनीक के साथ कदमताल करते हुए पश्चिम रेलवे ने अति संवेदनशील क्षेत्रों, जहां वेक्टर फैले होते हैं तथा जो इंसान की आंखों और हाथों की पहुॅंच से बाहर होते हैं, उन क्षेत्रों के विसंक्रमण के लिए लोअर परेल कारखाने में ड्रोन तकनीक को अपनाकर एक और महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर ली है। इससे बीमारियों को दूर रखने में मदद मिली है तथा कोचों के दैनिक अनुरक्षण कार्य में शामिल कर्मचारियों को कार्य करने के लिए एक सुरक्षित एवं स्वस्थ वातावरण उपलब्ध कराना सुनिश्चित हुआ है। पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक श्री आलोक कंसल ने ड्रोन तकनीक के इस अभिनव प्रयोग की सराहना की है तथा लोअर परेल के मुख्य कारखाना प्रबंधक श्री तरुण हुरिया और उनकी समन्वय टीम में शामिल उप मुख्य यांत्रिक इंजीनियर श्री बी.एन. गंगवार और श्री अरुण कुमार सिंह के साथ-साथ सभी सम्बंधित कर्मचारियों एवं कामगारों को इस सराहनीय कार्य के लिए हार्दिक बधाई दी है।
पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी श्री सुमित ठाकुर द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार लोअर परेल कारखाना भौगोलिक दृष्टि से मुंबई के निचले इलाके में स्थित है और यह कारखाना मानसून सीज़न के दौरान जलभराव की समस्या से हमेशा प्रभावित होता है। इसीलिए लोअर परेल कारखाने द्वारा प्रत्येक वर्ष कारखाना परिसर के अंदर साफ़ सफ़ाई एवं स्वच्छ परिस्थितियाॅं बनाये रखने की दृष्टि से एक प्रणालीबद्ध प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसके अंतर्गत रूफ टॉप, वैली गटर्स, डाउनटेक पाइपों, ड्रेनेज लाइन एवं सम्पूर्ण यार्ड की साफ़-सफ़ाई जैसे प्राथमिकता के आधार पर किये जाने वाले कार्य शामिल हैं। इसके अलावा, जलजमाव की समस्या से बचने के लिए पिट लाइनों से पानी बाहर निकालने के लिए हैवी ड्यूटी पम्प लगाये गये हैं और शेड के बाहर रखी गई सामग्री को वाॅटर प्रूफ तारपोलिन शीट्स से ढककर रखा जाता है। मानसून आरम्भ होने और विशेष रूप से मौज़ूदा कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए एक और महत्वपूर्ण कारक पर भी ध्यान देने की अत्यंत आवश्यकता है, जिसमें मॉस्किटो वेक्टर्स को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करते हुए ह्यूमन-वेक्टर जनित रोगों को फैलने देने से रोकने के उपाय सुनिश्चित किये जाते हैं। उचित समय पर सही कीटनाशक का छिड़काव, लार्वा एवं बड़े मच्छरों को नियंत्रित कर सकता है। सामान्यतः सभी शॉप एवं सेक्शनों को हस्तचालित स्प्रेयर द्वारा लिक्विड पेस्टिसाइड का छिड़काव करके एवं धुआं करके संक्रमणहीन किया जाता है। तथापि, इसकी भी कुछ सीमाऍं हैं, जैसे यह रूफटॉप आदि जैसे एलिवेटेड क्षेत्रों पर नहीं किया जा सकता है। इस मुश्किल को हल करने के लिए सर्वप्रथम प्रयास करते हुए कैरिज रिपेयर वर्कशॉप ने बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कारपोरेशन (बीएमसी) के साथ एक टीम बनाई है और वेक्टर जनित रोगों जैसे मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया से रोकथाम हेतु माह जून, 2020 के अंतिम सप्ताह से ही पूरे वर्कशॉप परिसर के मच्छरों के पनपने के दुर्गम स्थानों का व्यापक स्तर पर ड्रोन द्वारा भी विसंक्रमण कार्य किया जा रहा है। इस टेक्नोलॉजी के बारे में बताते हुए मुख्य कारखाना प्रबंधक, लोअर परेल श्री तरुण हुरिया ने बताया कि सामान्यतः पहुॅंच से बाहर के स्थान जैसे शेड एवं इमारतों की छतों, वैली गटर आदि में पनपने वाले वेक्टर जनित रोगों के मच्छरों को मारने हेतु रेलवे कारखाने में पहली बार इस “एरियल माइक्रोबियल डिसइन्फेक्शन” की सहायता से विसंक्रमण कार्य किया जा रहा है। इस विधि में दो ड्रोन का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें से एक ड्रोन द्वारा मच्छरों के पनपने के दुर्गम स्थानों का सावधानीपूर्वक सर्वेक्षण किया जाता है और दूसरे ड्रोन की सहायता से उन स्थानों पर विसंक्रामक दवाइयों का छिड़काव किया जाता है। इन ड्रोनों की सहायता से पूरे कारखाना परिसर में 500 मीटर तक की ऊॅंचाई के दुर्गम स्थानों पर प्रतिदिन लगभग 12 घंटे तक 15 लीटर विसंक्रामक दवाइयों का छिड़काव किया जाता है। उपयोग में लाई जा रही विसंक्रामक दवाइयां 65 प्रकार के वायरस, 400 प्रकार के बैक्टीरिया और 100 से अधिक प्रकार के कवकों (fungi) के लिए भी प्रभावकारी हैं। रोकथाम के इन प्रयासों से मच्छरों के लार्वा एवं बड़े-बड़े मच्छरों को नियंत्रण में लाने के फलस्वरूप कारखाना कर्मियों तथा आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को काफी राहत मिली है। इन सम्पूर्ण गतिविधियों की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाती है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि मच्छरों के पनपने के सभी दुर्गम स्थानों पर छिड़काव किया गया है। प्रौद्योगिकी की सहायता से ड्रोन का इस्तेमाल करते हुए विसंक्रमण कार्य न केवल पश्चिम रेलवे पर पहली बार किया गया है; बल्कि पूरी भारतीय रेल पर इस प्रकार का यह पहला अभिनव प्रयोग है।
पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी श्री ठाकुर ने बताया कि पश्चिम रेलवे का लोअर परेल कारखाना वर्ष 1876 में बना ब्रिटिश युग का हेरिटेज स्मारक है जिसमें एक शेड एवं प्रशासनिक भवन के सुदृढ़ ढांचे को अच्छी तरह से मेंटेन किया हुआ है। यह कारखाना बहुत पुराना है मगर कारखाने के विरासती गरिमा को बरकरार रखते हुए यहॉं न्यू जनरेशन कोचों का आवधिक ओवरहॉलिंग नवीनतम तकनीक को अपनाते हुए किया जा रहा है।

प्रदीप शर्मा,जनसंपर्क अधिकारी
पश्चिम रेलवे, अहमदाबाद,