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Piles: बवासीर में गेंदा का फूल लाभदायी

  • वानस्पतिक नाम- Tagetes erecta (टेजेटेस इरेक्टा) कुल- एस्ट्रेसी (Asteraceae)
  • हिन्दी- गेंदा, गुलतेरा
  • अंग्रेजी- मैरीगोल्ड, एन्टेक, अफ्रिकन मैरीगोल्ड (Marigold, Aztec, African Marigold)
  • संस्कृत- स्थुलापुष्पा, संडु, गंडुगा
Piles, marigold

Piles: गेंदा उद्यानों, घर-आँगन और रास्तों के किनारे बहुतायत में उगता हुआ देखा जा सकता है। भारत के अधिकांश राज्यों में इसके सुंदर फूलों के लिए खेती की जाती है। कहा जाता है कि देवी-देवताओं को गेंदा के फूलों से काफी लगाव है। गेंदा का वानस्पतिक नाम टेजेटेस इरेक्टा है। गेंदा के पत्तों का रस कान में डाला जाए तो यह कान दर्द को खींच लेता है। बवासीर (Piles) के रोगी को यदि गेंदा की पत्तियों का रस, काली मिर्च और नमक का घोल पिलाया जाए तो आराम मिल जाता है।

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आदिवासियों का मानना है कि जिन्हें पेशाब के साथ वीर्य जाने की शिकायत हो उन्हें गेंदा के फूलों का रस पीना चाहिए। यदि गेंदा के फूलों को सुखा लिया जाए और इसके बीजों को एकत्र कर मिश्री के दानों के साथ समान मात्रा (5 ग्राम प्रत्येक) का सेवन कुछ समय तक दिन में दो बार किया जाए तो वीर्य स्तंभन शक्ति और पौरुषत्व प्राप्ति होती है। वैसे डाँग- गुजरात के आदिवासी इसी नुस्खे को तीन दिन तक लेने की सलाह उन रोगियों को देते हैं जिन्हें दमा और खाँसी की शिकायत है।

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गेंदा के पत्तों को मोम में गर्म करके ठंडा होने पर पैरों की बिवाई पर लगाने से आराम मिल जाता है, तालु चिकने हो जाते हैं। गेंदे के फूल की पंखुड़ियों को एकत्र कर पीस लिया जाए और शरीर के सूजन वाले हिस्सों में लगाया जाए तो सूजन मिट जाती है। जिन्हें सिर में फोड़े, फुन्सियाँ और घाव हो जाए उन्हें मैदा के साथ गेंदे की पत्तियों और फूलों के रस को मिलाकर सप्ताह में दो बार सिर पर लगाना चाहिए, आराम मिल जाता है। (साभार: आदिवासियों की औषधीय विरासत पुस्तक से )

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