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अनन्तमूल की जड़ का चूर्ण रोजाना खाने से गंजे के सिर के बाल उग आते हैं

आयुर्वेद से आरोग्य – 04

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  • वानस्पतिक नाम- Hemidesmus indicus (हेमिडेस्मस इंडिकस)
  • कुल- पेरिप्लोकेसी (Periplocaccae)
  • हिन्दी- अनंतमूल, सालसा, कपुरी, अनंतामूल
  • अंग्रेजी- इंडियन सार्सापरिल्ला, हेमिडेस्मस (India Sarsaparilla, Hemidesmus)
  • संस्कृत- सारिका, अनंतमूला, नाग-जिव्हा

अनंतमूल मध्य भारत के वनों में अक्सर देखा जा सकता है, यह एक बेल है जो जमीन पर या अन्य पेड़ों पर फैली हुयी दिखाई देती है। इसकी जड़ों को सूंघकर देखा जाए तो यह कपूर की तरह गंध देती है। अनंतमूल का वानस्पतिक नाम हेमिडेस्मस इंडिकस है। दमा के रोगी यदि अनंतमूल की जड़ों और अडूसा के पत्तियों की समान मात्रा (3-3 ग्राम) लेकर दूध में उबालकर लें तो फायदा होता है, ऐसा कम से कम एक सप्ताह तक किया जाना जरूरी है। पातालकोट के आदिवासी मानते हैं कि यदि अनंतमूल की जड़ों का चुटकीभर चूर्ण महिलाएँ दिन में तीन बार लें तो बालों की लंबाई बढ़ जाती है।

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वैसे आदिवासी यह भी मानते हैं कि 2 ग्राम अनन्तमूल की जड़ का चूर्ण रोजाना खाने से गंजे के सिर के बाल उग आते हैं और सफेद बाल काले होने लगते हैं। रक्त अल्पता के रोगी यदि अनंतमूल, दालचीनी और सौंफ की समान मात्रा लेकर चाय के साथ उबालकर कम से कम दिन में एक बार सेवन करें तो रक्त शुद्धी के साथ-साथ रक्त बनने की प्रक्रिया में तेजी आती है। डाँग- गुजरात के आदिवासी इसके पत्तों का उपयोग दंतरोगों के लिए करते हैं और माना जाता है कि इसके पत्तों का दाँतों के बीच दबा लिया जाए तो यह दाँत दर्द खींच लेता है। अनंतमूल की जड़ों का काढ़ा अथवा रस यदि होठों पर लगाया जाए तो फटे होंठ सामान्य हो जाते हैं, ठीक इसी तरह पैरों की बिवाइयों या त्वचा के किसी भी हिस्से के कटे-फटे होने पर इसका लेपन काफी आराम दिलाता है।

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