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Bharat: भारत की क्षेत्रीय संतुलन और नेतृत्व की दावेदारी प्रबल हुई है

कोरोना के गुणवत्ता वाले टीके का अंतर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मानकों के अनुरूप तेजी से विकास कर सब के सामने एक भारत (Bharat) ने ऐतिहासिक मिसाल क़ायम की । इस पूरे प्रयास में प्रधान मंत्री ने व्यक्तिगत रुचि ले कर कार्यक्रम को गति प्रदान की ।

दक्षिण एशिया के देश अपनी निजी समस्याओं में जिस तरह उलझे हुए हैं उससे राजनैतिक स्थिरता और विकास के मोर्चों पर मुश्किलें बढ़ी हैं । करोना की महामारी के मुश्किल दौर में इन सभी देशों की आर्थिक गतिविधियाँ भी बुरी तरह प्रभावित हुईं हैं । ऐसे में क्षेत्रीय राजनीति और वैश्विक भागीदारी की दृष्टि से पूरे क्षेत्र पर संकट के बादल गहरा रहे थे । ऐसे में भारत (Bharat)ने बड़े संयम के साथ स्वास्थ्य , अर्थ , शिक्षा , राजनैतिक प्रक्रिया और व्यवस्था के मामलों में साहस और धैर्य से काम लिया । यह कोशिश बनी रही की आधार संरचना की व्यवस्था न चरमराए और इसमें काफ़ी हद तक सफलता भी मिली ।

इसके बावजूद कि आर्थिक चुनौती बड़ी थी , देश ने उसका डट कर सामना किया और संतुलन बनाने की कोशिश की । न्याय , स्वास्थ्य और आवागमन नागरिक सेवाओं पर बड़ा दबाव था । धीरे – धीरे इनको शुरू किया गया और इंटरनेट की सहायता से गाड़ी को पटरी पर लाने की कोशिश की गई।सामाजिक जीवन को स्थिर बनाए रखने और चुनाव जैसी आंतरिक राजनीति की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को भी बहुत हद तक सफलतापूर्वक संचालित किया गया।

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राजनयिक दृष्टि से यह भी महत्वपूर्ण रहा कि वैश्विक नेताओं के साथ सार्थक विचार-विमर्श चलता रहा । चीन के साथ सीमा पर विवाद की मुश्किल को धैर्य और सावधानी के साथ सुलझाने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई । वैश्विक मंचों पर भारत (Bharat)ने स्वास्थ्य और आर्थिक मामलों में अपनी बात गम्भीरता से रखी और उसे महत्व भी दिया गया । यही नहीं कोरोना के गुणवत्ता वाले टीके का अंतर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मानकों के अनुरूप तेजी से विकास कर सब के सामने एक भारत ने ऐतिहासिक मिसाल क़ायम की । इस पूरे प्रयास में प्रधान मंत्री ने व्यक्तिगत रुचि ले कर कार्यक्रम को गति प्रदान की ।

कोविड महामारी की लम्बी अवधि में लाक़डाउन के दौर आए और सबने मिल कर सामना किया । सरकार जनता के साथ लगातार सम्पर्क में रही और प्रधानमंत्री ने देश को कई बार सम्बोधित किया। महामारी का दंश सबने झेला । काम-धंधे , औद्योगिक उत्पादन , शिक्षा और प्रतिरक्षा आदि के मोर्चे पर ठहराव और बिखराव से निपटने की मुहिम चलती रही । इस बीच व्यापक हित के लिए अनेक जनोपयोगी योजनाओं को भी लागू किया गया । तमाम बंदिशों के बावजूद देश धीमे-धीमे ही सही कदम आगे बढ़ाता रहा ।

यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि वैश्विक हित में भारत (Bharat) ने आगे बढ कर करोना का असरदार टीका अनेक देशों को उपलब्ध कराया , विशेष रूप से पड़ोसी देशों को । यह कदम उदारता , सद्भावना और ज़िम्मेदारी के साथ सहयोग की मिसाल बन कर एक नए राजनयिक वातावरण का सृजन करने वाली घटना हो गई । इसके द्वारा भारत ने अपने सभी पड़ोसी देशों को यह सकारात्मक संदेश दिया है कि आपसी सहयोग से हो कर ही प्रगति और उन्नति की राह निकलती है और इसका कोई दूसरा विकल्प नहीं है ।

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पिछले दिनों बांगला देश की यात्रा द्वारा भारत (Bharat) के प्रधान मंत्री ने क्षेत्रीय सहयोग और विनिमय का मार्ग प्रशस्त किया है । इतिहास को देखें तो पता चलता है कि सीमा , जल और वाणिज्य के तमाम ऐसे मुद्दे हैं जिनको ले कर दोनों देशों के रिश्तों में व्यवधान खड़े होते रहे हैं । भौगोलिक स्थिति कुछ इस तरह की है हमें इस पर लगातार नज़र रखनी होगी । कई बार बड़े खट्टे अनुभव भी हुए हैं और मैत्री को धक्का भी लगा । पर पड़ोसी बदले नहीं जा सकते , इन्हें तो विश्वास में ले कर ही आगे बढ़ने वाली गति सम्भव हो पाती है । इन सबको ध्यान में रख कर मोदी जी ने बंगबंधु शेख़ मजीबुर्रहमान के स्मरण के अवसर को यादगार बना दिया । गांधी शांति पुरस्कार से नवाज़ कर और अन्य परियोजनाओं के लिए समर्थन से उन्होंने फैले भ्रमों को तो दूर किया । साथ ही सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण काम किया ।

मंदिरों में जा कर पूजा अर्चना तो स्वाभाविक है पर कभी अखंड भारत की अब पराई हो चुकी धरती पर पहुँचना एक दुर्लभ अवसर था । उनके इस कदम से अल्प संख्यक होते जा रहे भारत – समुदाय का मनोबल सुदृढ़ हुआ । इन प्रयासों से दोनों देशों के बीच सार्थक संवाद और संचार का अवसर बना है । आशा है इस अवसर को सकारात्मक ढंग से लिया जाएगा । भारत ने गम्भीरता से सहयोग का हाथ आगे बढ़ाया है और आशा है इसका अन्य देशों द्वारा स्वागत किया जाएगा । क्षेत्रीय सद्भाव आज के सामाजिक और भौगोलिक परिवेश में अधिक महत्व का हो रहा है । इस मुहिम की सफलता के लिए लगातार काम करना होगा ।

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