इक दीप जलाया था तेरे इश्क़ का हमने ! झूठी है मुहब्बत तो दिखाने के लिए आ !!

आ शीशा ए दिल तोड़ के जाने के लिए आ !तू मुझसे ख़फ़ा है तो जमाने के लिए आ !! इल्ज़ाम मेरे सर तेरी रुसवाई का आया !दुनिया का भरम … Read More

रास्ता मुश्किल है आसान नहीं है, रुक जाना भी तो समाधान नही है।

रास्ता मुश्किल है आसान नहीं हैरुक जाना भी तो समाधान नही है। दर्द थकान पसीना पैरों में जलनकिसी भी शै से वो परेशान नही है। दोराहो चौराहों के असमंजस भी … Read More

मिली न मुस्कान हमे सौगात की ! कद्र उनको नही मेरे जज्बात की !

मिली न मुस्कान हमे सौगात की !कद्र उनको नही मेरे जज्बात की ! हम उनके  ख्यालों  में  खोए  रहे !गुज़रती  रही  रात  नगमात  की ! सरकता रहा वक़्त पल-पल यहाँ … Read More

तू मुझे लाइक कर….. दोस्ती भी अब व्यापार हो गईं है

जब से फेसबुक तैयार हो गयी हैतब से जिंदगी इश्तेहार हो गईं है लड़के बेचारे लाइक्स को तरसेलड़कियों पर भरमार हो गयी है अब हर रोज लिखते है वॉल परकलम … Read More

अभी मासूम है मासूमियत जिंदा रहने दो

ग़ज़ल जो सूरज की मानिंद जलना सीख जाएगावो हर अंधेरे से निकलना सीख जाएगा। न कोई हाथ पकड़ो न कोई सहारा दो उसेवो खुद गिरकर संभलना सीख जाएगा। अभी मासूम … Read More

पर्यावरण के प्रति हम कितने संवेदनशील ?

काव्य आकाश के फेफड़ो में धुंआ भरती चिमनियाधरती के आँचल को अनवरत सोखते ट्यूबवेल।1। नदियों को जार जार करता बजरी खननसमंदर को मारता केमिकल और प्लास्टिक।2। खाद्यान्न में अत्यधिक घुलता … Read More

मां बाप के बुढापे की लाठी…..

नन्ही सी हथेली मेंमुट्ठी भर सपने लिएहम भी आगे बढ़ेंगे पढ़ लिख कर केलिखेंगे हमारे अरमानभरेंगे सपनो की उड़ानहम भी आगे बढ़ेंगे चल उड़ पंछीकभी इस डाल कभी उस पातलगा … Read More

गुलशन जहाँ सभी के लिए हो

काव्य कंटीले नुकीलेकांटेदार केक्टस ही केक्टसहै चहुँ ओर। खरपतवार ने कर लिया हैकब्जा पूरे बगीचे पर।लहूलुहान तितलियांलाचार,बेबसढूंढ रही हैसुरक्षित आश्रय।आओ !हम सब मिलकरउखाड़ फेके इसअनचाही खरपतवार को,और बनाये एक ऐसागुलशन … Read More

बाल श्रम में लिप्त किए जा रहे बच्चों की ज़बानी

काव्य मेरे भी कई ख़्वाब थे,हम भी किसी घर के आफ़ताब थे,बिना घी के सही हमारी माँ के हाथ के व्यंजन लाजवाब थे,साइकल के टायर और लकड़ी पर हमारे भी … Read More

हम इकट्ठा कर लें चाहे जितने दौलत के पहाड़….

काव्य हम इकट्ठा कर लें चाहे जितने दौलत के पहाड़।सामने रहते हैं फिर भी कुछ ज़रूरत के पहाड़। पार कर लो एक को तो दूसरा तैयार हैक्या पता आएँगे कितने … Read More